(प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते राजेंदर सच्चर) |
क्या है मोर्चे का मकसद
परिवर्तन मोर्चा की घोषणा करते हुए राजिन्दर सच्चर ने कहा, उनके द्वारा अल्पसंख्यक वर्ग के विकास पर जो सिफारिशें की गईं उसे आज तक किसी राजनीतिक दल ने लागू नहीं किया। यूपी में सपा ने कई वादे किए बावजूद, लागू करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसबार तो अल्पसंख्यकों से जुड़ा मुद्दा उनके घोषणापत्र से ही गायब है। सच्चर ने कहा, सोशलिस्ट पार्टी वंचित समाज के विकास के एजेंडे के साथ चुनाव में परिवर्तन मोर्चा के रूप में मैदान में उतरी है।
मोर्चे के अहम मुद्दे
1) समान शिक्षा प्रणाली, गरीबों को आवास मुहैया कराना
2) मजदूरों, मजलूमों, किसानों, नौजवानों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलित-आदिवासी वर्ग के शिक्षा, रोजगार, किसानी जैसे मुद्दों पर सवाल उठाकर उचित हक़ दिलाना
मोर्चे में कौन-कौन दल शामिल हैं
सच्चर ने कहा, मोर्चे में सोशलिस्ट पाटी (इंडिया), नेलोपा, भारतीय कृषक दल, जनहित विकास पार्टी, जनवादी समता पार्टी के उम्मीदवार 200 सौ सीटों चुनाव लड़ेंगे।
मुलायम ने नहीं दिया था मिलने का वक्त
सच्चर ने कहा, मुजफ्फरनगर दंगों के सवाल पर जब मैंने कुलदीप नैयर और अन्य लोगों ने मिलकर मुलायम सिंह जी को पत्र लिख वहां के हालात पर चिंता जाहिर की और मिलने का वक्त मांगा; उन्होंने समय तक नहीं दिया। साम्प्रदायिकता जैसे बड़े खतरे पर अपने को लोहियावादी बताने वालों से यह उम्मीद नहीं थी। सच्चर ने आगे कहा, "बाबरी मस्ज्दि जैसी घटना के बाद होना तो यह चाहिए था कि 6 दिसम्बर को पूरा देश ‘पश्चाताप दिवस’ मनाए, लेकिन फासीवाद के खिलाफ समझौतावादी संघर्ष के कारण आज आजाद भारत की सबसे शर्मनाक घटना को अंजाम देने वाले लोग ही सत्ता में काबिज हो गए हैं।
कैसे हैं ये लोहिया के वारिस : संदीप
मैगससे पुरस्कार से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पाण्डेय ने कहा, "लोहिया शराब के विरोधी थे, लेकिन खुद को लोहिया का वारिस बताने वाली सपा सरकार शराब का दाम कम करके यूपी को दूसरा पंजाब बनाने पर तुली है। इसी तरह लोहिया ने नारा दिया था कि समाजवाद में रानी और मेहतरानी के बच्चे एक स्कूल में पढ़ेंगे, लेकिन सपा सरकार के विधायक और मंत्री शिक्षा माफिया बन गए हैं। अच्छे दिनों का वादा करके सत्ता में आई भाजपा ने नोटबंदी करके कितने ही गरीबों को रोड पर ही लाइन लगवाकर मार डाला।
संदीप पांडे ने कहा इसलिए बनाया मोर्चा
संदीप पांडे ने कहा, बसपा का चरित्र देखकर यह भरोसा नहीं किया जा सकता कि वह किस क्षण भाजपा के साथ हाथ मिला ले। ऐसे में परिवर्तन मोर्चा यूपी में साम्प्रदायिक राजनीति करने वाले इन तीनों दलों की नीतियों के खिलाफ ईमानदार और सेक्युलर उम्मीदवारों के जरिए जनता को वास्तविक समाजवादी विकल्प देगा। इसको विभिन्न वर्गों के सामाजिक संगठनों और आंदोलनों का समर्थन प्राप्त है।
रिहाई मंच ने भी किया मोर्चे को सपोर्ट
आतंकवाद के नाम पर जेलों में बंद मुसलमान युवकों की रिहाई का मुद्दा उठाने वाले मो. शोएब ने भी मोर्चे का समर्थन किया। उन्होंने कहा, परिवर्तन मोर्चा को चुनाव के दौरान रिहाई मंच का पूरा समर्थन मिलेगा। देश में पैदा हो रहे संवैधानिक संकट से निपटने के लिए तमाम आंदोलनों को ऐसे परिवर्तनकामी ताकतों के साथ खड़ा होना ही पड़ेगा।
ठगे गए किसान : कृषक दल
भारतीय कृषक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोज दीक्षित ने कहा, किसानों को इन पार्टियों ने भिखारी बना दिया है जिससे चुनाव में कुछ वादे करके हर पार्टी वोट ले लेती है और किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। परिवर्तन मोर्चा किसानों को राजनीतिक भागीदारी देगा और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगा। हर गांव में सामुदायिक कृषि विकास केंद्र खुलवाए जाएंगे जहां कम लागत मूल्य आधारित खेती के लिए प्रशिक्षण एंव बाजार की जरूरतों के हिसाब से फसल चुनने में कृषि विशेषज्ञों की मदद उपलब्ध करा कर खेती किसानी को लाभकारी बनाने की दिशा में काम करेंगे। जनवादी समता पार्टी के प्रतिनिधि विनोद यादव ने कहा, परिवर्तन मोर्चा चुनाव में सपा, बसपा और भाजपा की एक जैसी गरीब विरोधी नीतियों से उपजे जनविक्षोभ की ताकत पर चुनाव लड़ा जा रहा है। प्रेस वार्ता में शामिल नेलोपा के प्रतिनिधि शम्स तबरेज ने कहा, हम हक-हुकूक और इंसाफ के सवाल पर परिवर्तन मोर्चे के साथ चुनाव में हैं।
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