ब्लॉग में खोजें

Thursday 1 October 2009

भारत में रेडियों का इतिहास : जब छोटे-छोटे ट्रांसमीटर्स से प्रस्तुत किए जाते थे कार्यक्रम


खबरची. सूचनाओं का माध्यम समय के सापेक्ष बदलता रहा,वैज्ञानिक विकास ने संचार क्षेत्र को नयी उचांइया प्रदान कर दी. वैसे भारत में रेडियों सेवा ’जून १९२३’ में निजी क्लबों के माध्यम से ’बंबई’ से शुरू हुई. यह कोइ रेडियों स्टेशन नही था, जो निजी क्लबों के माध्यम से लोगों के सामने आया और इतिहास मे ’बॉम्बे रेडियों क्लब’ के नाम से मशहूर हुआ.इसकी तर्ज पर देश के बड़े महानगरों, नवंबर १९२३ मे कलकत्ता और मई १९२४ में मद्रास में निजी रेडियो क्लबों की स्थापना हुई. ये रेडियों के छोटे क्लब थे, जिसकी पहुँच तत्कालीन समाज के सभ्रांत लोगों तक सीमित थी.

छोटे-छोटे ट्रांसमीटर्स से प्रस्तुत किए जाते थे कार्यक्रम 
विश्लेषक इसे भारत में रेडियों का काल नहीं स्वीकार करते हैं. इन स्टेशनो में छोटे-छोटे ट्रांसमीटर्स के जरिए मनोरंजन के प्रोग्राम प्रस्तुत किए जाते थे जिनमे संगीत के कार्यक्रम प्रमुख थे.भारत में संगठित रेडियों की शुरुआत २३जुलाई १९२७’ को ’इण्डियन ब्राडकास्टिंग सर्विस’ के तहत बी.बी.सी. को ध्यान में रखकर शुरू किया गया. इस सेवा का उद्घाटन बंबई मे वायसराय ’लार्ड इरविन’ ने किया जो देश का पहला रेडियो स्टेशन था. आई.बी.एस. कंपनी ने २६ अगस्त १९२७ में कलकत्ता और ७ सितंबर १९२७ को मद्रास से रेडियो स्टेशनों के नए केंद्रों का विस्तार किया. तब रेडियों स्टेशनों के आय का मुख्य स्रोत उपभोक्ताओं द्वारा अर्जित लाइसेंस शुल्क होता था, इन्हे किसी भी प्रकार का अनुदान नही प्राप्त था.

जब वैश्विक मंदी में बंद होने पड़े थे रेडियो स्टेशन 
३० के दशक मे व्याप्त व्यापक वैश्विक मंदी के कारण ३० मार्च १९३० में इन स्टेशनों को बंद होना पड़ा. रेडियो के बंद हो जाने पर जनता में आक्रोश था जनता की भारी माँग को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने इसे अधिग्रहित कर, ’१ अप्रैल १९३०’ में ’इण्डियन स्टेट ब्राडकास्टिंग सर्विश’ के नाम से इसे फ़िर शुरू किया. सरकार ने बी.बी.सी. की तर्ज पर मार्च १९३५ में ’डिपार्टमेंण्ट आफ़ कंट्रोलिंग आफ़ ब्राडकास्टिंग’ की स्थापना की जिसका उद्देश्य प्रसारण का विकास एवं इसका सरकारी कार्यों मे बेहतर प्रयोग था. बी.बी.सी. में कार्यरत ’लियोनेल फ़िल्डर’ को ’३०अगस्त १९३५ को इसका कंट्रोंलर बनाया गया. इन्हें रेडियो का पितामह भी कहा जाता है,इनकी किताब ’नेचुरल वेंट’ भारतीय संदर्भ में रेडियों विषय पर लिखी गई पहली किताब हैं.

’१जनवरी१९३६’ रेडियों के इतिहास के लिए एक बडी़ घटना थी इसी दिन ’इण्डियन ब्राडकास्टिंग सर्विस’ ने रेडियो के दिल्ली स्टेशन कि स्थापना की गई. रेडियों पर समाचारों का पहला प्रसारण ’१९ जनवरी १९३६’ को हुआ और इसी दिन रेडियों कार्यक्रमों पर अधारित उर्दू में ’आवाज’ और हिंदी में ’सारंग’ पत्रिकाओं का प्रकाशन सरकार द्वारा किया गया.

इस तरह मिला ऑल इंडिया रेडियो का नाम 
वायसराय ’लाँर्ड लिनलिथगो’ को एक कार्यक्रम में बातचीत के दौर में ८जून १९३६ को रेडियो का व्यापक नाम ’आल इण्डिया रेडियो’ सूझा जो आज भी उसी नाम से जाना जाता है. १ अगस्त १९३७ में ’सेंट्रल न्यूज आर्गनाइजेशन’ की स्थापना हुई. रेडियो का विकास तीव्र गति से जारी रहा, अंग्रेजी नियंत्रण में होने के कारण स्वातंत्र्य आंदोलन मे इसकी कोई भुमिका नही थी लेकिन सुचना की तीव्र संप्रेषणियता से यह लोकप्रियता प्राप्त कर चुका था. रेडियो के कलेवर मे तेजी से बदलाव हो रहा था.

इस तरह शुरू हुआ पहला न्यूज बुलेटिन 
१ अक्टूबर १९३७ को विदेशों में भारत का पहला न्यूज बुलेटिन प्रसारित हुआ.संसार विश्व युद्ध की विभीषिका झेल रहा था अग्रेजी सेना के लिए बडी़ संख्या मे दक्षिण एशिया के लोग लड़ रहे थे, युद्ध संबंधी खबरों के लिए इसका प्रसारण आवश्यक हो गया था.पहला न्यूज बुलेटिन अफ़गानिस्तान की ’पश्तों’भाषा मे प्रसारित किया गया. न्यूज की दो डिविजंश सामने आई, प्रथम ’नेशनल सर्विस डिविजन’ एवं द्वितिय ’इक्सटर्नल सर्विस डिविजन’. एक स्टेशन से संगठित कार्यक्रम दूसरे स्टेशन पर प्रसारित( रिले सर्विस) करने की शुरुआत १८जनवरी १९३६ को हुई. नवंबर १९३७ में ’डिपार्टमेण्ट आफ़ कम्युनिकेशन’ कि स्थापना हुई. जो रेडियो के कार्यक्रमों को नियंत्रित करती थी. बाद में २४अगस्त १९४१ को इसे ’इन्फ़ाँर्मिंग एण्ड ब्राडकास्टिंग’ विभाग के अंदर समायोजित किया गया.

आजादी के समय भारत में थे ६ रेडियो स्टेशन 
’१२नवंबर’ को रेडियो के ’पब्लिक सर्विस डे’ के रूप में मनाया जाता है, १२नवंबर १९४७ को गांधी जी ने रेडियो पर पहली और आखिरी बार संबोधन किया था . अगस्त १९४७ में आजादी के वक्त भारत मे कुल ६ रेडियों स्टेशन थें, इन ६ स्टेशनों मे चारों महानगरों के अलावा त्रिचुरापल्ली और लखनऊ रेडियो स्टेशन थे. बटवारे मे पकिस्तान को लाहौर,ढाका और पेशावर के रेडियों स्टेशन प्राप्त हुए थे. मैसूर और बडौ़दा रियासतों के अपने निजी स्टेशन थे जिसे आजादी के बाद में पटेल जी ने अधिग्रहित कर लिया था. उत्तर प्रदेश के नैनी(इलाहाबाद) में ईसाइ मिसनिरिज ने भी १९३५ में अपना निजी रेडियों स्टेशन स्थापित किया था.

4 comments:

  1. A very good post. This is age of communication and Radio is the starting point...
    Somewhere I read a very good tip to keep our blog popular. The advice was to keep the post short...and I tried to follow it...
    You may like it too...
    Please do visit my blog-lifemazedar.blogspot.com.
    Best Wishes
    Regards adn Jai Baba
    Chandar Meher

    ReplyDelete
  2. चिट्ठा जगत मे स्वागत है,आपको बधाई

    ReplyDelete
  3. बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है . वैसे मै भि आप्के कोलज से हु 1998 मे इविग से निकला था.
    हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
    टेम्पलेट अच्छा चुना है. थोडा टूल्स लगाकर सजा ले .
    कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें .(हटाने के लिये देखे http://www.manojsoni.co.nr )
    कृपया मेरे भी ब्लागस देखे और टिप्पणी दे
    http://www.manojsoni.co.nr और http://www.lifeplan.co.nr

    ReplyDelete
  4. Bahut barhia... isi tarah likhte rahiye

    http://mithilanews.com

    Please Visit:-
    http://hellomithilaa.blogspot.com
    Mithilak Gap...Maithili Me

    http://mastgaane.blogspot.com
    Manpasand Gaane

    http://muskuraahat.blogspot.com
    Aapke Bheje Photo

    ReplyDelete