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Tuesday 24 February 2015

मोहन भागवत के बयान के पीछे

अनुज शुक्ला : मदर टेरेसा को लेकर भागवत के बयान की काफी चर्चा है. लेकिन आखिर क्या जरूरत पड़ी कि भागवत को एक NGO (भागवत का मानना है कि यह NGO निष्काम सेवा कर रहा है) के सेवाभावी कामों की तुलना मदर टेरेसा से करनी पड़ी और यह कहना पड़ा कि फला की सेवा निष्काम है, जबकि मदर टेरेसा का उद्देश धर्म परिवर्तन (ममता का पोरिबोर्तन तो कतई नहीं) था. एक बात आपने गौर की है यह बयान नरेंद्र मोदी द्वारा दिल्ली की एक चर्च में दिए गए भाषण के एक ही दिन बाद आया है, उस भाषण में मोदी ने कहा था कि किसी भी धर्म पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बहरहाल, मोटे तौर पर इस बयान से दो सूत्र हाथ लगते हैं. 1) हो सकता है मोदी और भागवत में वर्चस्व (भाजपा और संघ) को लेकर एक प्रतिस्पर्धा हो, क्योंकि मोदी का व्यक्तित्व संघ और भाजपा में कई लोगों को अब रास नहीं आ रहा, कम से कम सुषमा को तो कतई नहीं 2) यह भी हो सकता है कि एक रणनीति के तहत मोदी अमेरिका और यूरोपीय देशों को रिझाने का काम कर रहे हैं और भागवत भक्तजनों को भविष्य की टॉनिक दे रहे हैं. पुनश्च : भागवत पिछले कुछ दिनों में कई बार मोदी के बयानों के ठीक उलट बयान देते धराए जा चुके हैं >> चर्चों पर हमले के बाद धार्मिक सहिष्णुता को लेकर ओबामा ने भारत की आलोचना की. मोदी नहीं चाहते कि जिस दोस्त की अगवानी में 100 करोड़ खर्च किए वह हाथ से निकल जाए. यह भी तो याद रखिए, अच्छे दिनों की बयार व्हाइट हाउस के झरोखे से ही निकलती है :p
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Wednesday 18 February 2015

#ऑक्सफोर्ड के छात्र भी नशेड़ी! ब्रिटेन में आजकल पढ़ाई के लिए खूब खाई जा रही हैं दवाएं

आपको जानकर भले ताज्जुब हो, लेकिन मेंटली परफॉर्मेंस के लिए इंग्लैंड के छात्रों में 'स्मार्ट ड्रग' लेने का कल्चर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इस ड्रग का नाम मोडाफिनिल है। यह स्लीपिंग डिसऑर्डर से जुड़ी एक दवा है। छात्र इंटरनेट के जरिए इसे खरीदते हैं। मजेदार बात यह भी कि सेवन करने वालों में सबसे ज्यादा 26% छात्र ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के हैं। हाल ही में एक वेबसाइट टैब ने 2000 छात्रों पर एक सर्वे किया। सर्वे में इग्लैंड की 41 यूनिवर्सिटीज के छात्र शामिल थे। पाया गया कि ब्रिटेन में हर पांच में से एक छात्र ने स्टडी परफॉर्मेंस के लिए मोडाफिनिल का सेवन किया। द गार्डियन के मुताबिक़, ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए यह आजकल खूब पॉपुलर हो रहा है। इस ड्रग के बारे में एक छात्र का कहना भी है, "वास्तव में यह दवा आपको ज्यादा इंटेलिजेंट तो नहीं बनाती, लेकिन इसकी वजह से आप अपना काम बखूबी करने लगते हैं। आप ज्यादा लंबे समय तक पढ़ाई कर सकते हैं।" उधर, छात्रों द्वारा ड्रग लेने के बढ़ते मामले को लेकर कई डॉक्टर्स का मानना है कि 'स्मार्ट ड्रग' का लगातार सेवन ब्रेन के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है। इंग्लैंड में इस दवा को लेकर नई डिबेट शुरू हो गई है। कइयों का मानना है कि क्यों न इस पर बैन ही लगा दिया जाए। स्मार्ट ड्रग लेने के मामले में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र सबसे ज्यादा हैं। यहां के 26% स्टूडेंट्स ने इसका सेवन किया है। जबकि 25% के साथ न्यूकैस्टल और लीड्स दूसरे स्थान पर हैं। 17% के साथ विस्टल और वारविक यूनिवर्सिटी ड्रग लेने के मामले में सबसे नीचे हैं। टैब ने अपने सर्वे में पाया कि आर्किटेक्चर के सर्वाधिक छात्र (23%) इसका सेवन करते हैं। इसके बाद मैथ और लॉ के 21%, सोशल साइंस के 20% स्टूडेंट इसका इस्तेमाल करते हैं। मेडिसिन के केवल 12% छात्र ही इसका यूज करते हैं, जो सबसे कम है। 49% छात्र इसे ऑनलाइन खरीदते हैं। साभार : दैनिकभास्करडॉटकॉम