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Tuesday 24 January 2017

JNU में नजीब के लिए आंदोलन से बौखलाई संघी सरकार, निशाने पर बहुजन छात्र-छात्राएं

(जेनयू से गायब हुआ छात्र नजीब: फ़ाइल फोटो  )

लखनऊ से खबरची. रिहाई मंच ने जेएनयू में चल रहे छात्र आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपनी नीतियों से जेएनयू के लोकतांत्रिक पहचान को मिटाने पर आमादा है। वे नहीं चाहते कि जेएनयू में दलित, पिछड़ें, अल्पसंख्यक और आदिवासी छात्र-छात्राओं का प्रवेश हो। रिहाई मंच के मुताबिक़ शातिर तरीके से मौखिक परीक्षा के आधार पर प्रवेश देने की रणनीति बनाई जा रही है। रिहाई मंच ने छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार कार्यकर्त्ता बेला भाटिया के घर पर पुलिस संरक्षण में असामाजिक तत्वों द्वारा किये गए हमले की भी निंदा की है। रिहाई मंच ने एक बार फिर नजीब का मसाला उठाते हुए आरोप लगाया कि जानबूझकर सरकार नजीब के मामले में कोई ठोस पहल नहेने कर रही है। इस वजह से पीड़ित परिवार को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।




जेएनयू आंदोलन का समर्थन 
रिहाई मंच लखनऊ के प्रवक्ता अनिल यादव ने जेएनयू में चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा, "मोदी सरकार मनुवाद के खिलाफ उठाने वाली हर आवाज को दबा देना चाहती है। जेएनयू में जिस तरीके से दलित -पिछड़े, अल्पसंख्यक और आदिवासी छात्र -छात्राओं को मौखिक परीक्षा में बेदखल करने की संघी रणनीति बनाई जा रही है उससे साफ़ होता है की नजीब के लिए चल रहे आंदोलन से बौखलाई सरकार बहुजन छात्र -छात्राओं को निशाना बना रही है।" उन्होंने कहा सोमवार देर रात जिस तरीके से दिल्ली पुलिस भूख हड़ताल पर बैठे छात्रनेता दिलीप यादव को कैम्पस से उठाकर ले गई, उससे साफ़ है कि जेएनयू के संघी कुलपति किसी भी हालात में सामजिक न्याय के आंदोलन का गला दबाना चाहतें हैं।

छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार बेला भाटिया के घर पर जिस तरह से पुलिस के संरक्षण में गुंडों ने हमला किया उससे साफ़ होता है कि भाजपा शासित राज्यों में किस तरह से लोकतान्त्रिक और मानवाधिकार के लिए उठाने वाली आवाज़ को कुचला जा रहा है।

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