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Tuesday 20 April 2010

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता यूनिवर्सिटी में परीक्षा घोटाला





(मंगलवार /20 अप्रैल 2010 )

परीक्षा घोटाले को लेकर अब देश में पत्रकारिता की शिक्षा मुहैया कराने में अपना अलग मुकाम रखनेवाली माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता यूनिवर्सिटी भी अछूती नहीं रही . दैनिक भास्कर डाट कॉम पर छपी खबर के मुताबिक इस यूनिवर्सिटी में फर्जी तरीके से परीक्षा परिणाम तैयार किया जा रहें थे . यहां परीक्षा विभाग के कुछ कर्मचारी न केवल उत्तर-पुस्तिकाओं में फेरबदल करवाकर फेल छात्रों को पास करवा रहे थे बल्कि सालों से अंकसूचियों में नंबर बढ़वाने का खेल भी कर रहे थे।बाद में इस गोरखधंधे से हो रही कमाई के बंदरबांट को लेकर कर्मचारियों के बीच विवाद हुआ तो मामला विश्वविद्यालय प्रशासन तक जा पहुंचा। जांच के बाद जब मामले की पुष्टि हो गई तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने गुपचुप तरीके से 6 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर इस प्रकरण पर पर्दा डाल दिया।

इस मामले को लेकर जब तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक जे.आर. झणाने ने जाँच शुरू की कई कर्मचारियों के नाम सामने आए। पकड़े गए कर्मचारियों में से भृत्य मनीष सेन और भरत सिंह ने अपनी गलती मानते हुए अपने साथ ग्यासउद्दीन अहमद, प्रमोद गजभिए और प्रसन्न दंडपाल के भी शामिल होने की बात कही। इनमें से तीन कर्मचारियों ने आरोपों को नकारा। परीक्षा शाखा की जांच में सामने आया कि मूल उत्तर-पुस्तिकाओं के पेज निकालकर उसमें पास छात्रों की कॉपी के पेज लगा दिए जाते थे।

अपनी जाँच रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी ने 6 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी। इनमें से कुछ कर्मचारियों ने विवि की इस कार्रवाई को शासन को शिकायत कर चुनौती दी थी। इसके बाद इस मामले में विवि प्रशासन ने फिर से जांच कराने का फैसला लिया। पूरे मामले में कार्रवाई को बिलकुल गोपनीय रखा जाकर मामले पर परदा डाला जा रहा है। हालांकि अब मामले की शिकायत कुलपति प्रोफेसर वीके कुठियाला के पास भी पहुंची है। वे खुद भी इस मामले की अंदरूनी पड़ताल किसी अन्य विवि के जांच अधिकारी से करवाने की बात कह रहे हैं।

इस घोटाले को लेकर दैनिक भास्कर ने कुलपति वी. के. कुठियाला से सीधी बात की तो उन्होंने बताया की वे इस मामले की जाँच करवा रहें हैं . हालाँकि उन्होंने कहा यह प्रकरण मेरे यहां नियुक्त होने के पहले का है, कार्रवाई की जा रही है।

आगे इस प्रकरण में क्या हुआ है?

प्रकरण की गोपनीय जांच किसी अन्य विश्वविद्यालय के अधिकारी से करवा रहे हैं। जो जांच रिपोर्ट आएगी, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
हालाँकि जब कुलपति कुठियाला से यह पूछा की

इसमें से एक कर्मचारी रजिस्ट्रार के निवास पर रसोइया बन गया है?

तो उन्होंने कहा इस बारें में उन्हें �इसकी जानकारी मुझे नहीं है।

इस सम्बन्ध में दैनिक भास्कर ने यूनिवर्सिटी के रजिस्टार से भी बात की .

परीक्षा विभाग से कर्मचारियों को क्यों निकाला गया है?
�अक्टूबर 09 में कुछ छात्रों की उत्तर-पुस्तिकाओं में गड़बड़ की जांच तत्कालीन रेक्टर ओपी दुबे ने परीक्षा नियंत्रक झणाने से जांच करवाने के बाद 6 कर्मचारियों को निकाला था। प्रकरण की नए सिरे से जांच कुलपति कार्यालय से करवाई जा रही है। कुछ कर्मचारियों ने छात्रों से पैसे लिए जाना स्वीकार भी किया है।

यह काम काफी पहले से हो रहा था?

�मैं तो उस समय यहां आया ही था। झणाने मेडम, जो कि परीक्षा नियंत्रक थीं, ने मामले की जांच करवाई थी।

इनमें से एक भृत्य आपके निवास पर रसोइया है?

�उसे सुधरने का एक मौका दिया था, जिसे कल ही हटा रहे हैं।

(साभार - भास्कर )

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