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Friday, 4 January 2019

बैंक फ्रॉड : खतरनाक भी है मोदीजी के नए डिजिटल इंडिया का सपना

पिछले शनिवार (29 December) शाम सात बजे के करीब किसी ने फोन कर कहा कि वो बैंक मैनेजर बोल रहा है. उसका यह कहना था कि मेरे एटीएम में दिक्कतें हैं. कुछ जानकारियां चाहिए. चूंकि पापा और घर में दूसरे लोग बैंक में ही रहे तो वहां की कार्यशैली से थोड़ा बहुत परिचित हूं. दिन शनिवार का था और समय शाम सात के बाद का, तो मैंने पलटकर तुरंत पूछ लिया कि भैया बैंक के मैनेजर कब से सीधे ग्राहक को फोन करें लगे, वो भी शनिवार को. मेरे इस जवाब के बाद फोन कट गया.

मैंने तत्काल कस्टमर केयर से बात की और खाते को टेम्परेरी बंद करने का अनुरोध किया. मैंने उनसे शिकायत भी की.

आप लोग तमाम लोगों के साथ हमारी डिटेल्स साझा करते हैं. और हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है?

मुझे कस्टमर केयर से जो जानकारी मिली उसे अब साझा करना जरूरी लग रहा है.


उस दिन कस्टमरकेयर ने बताया था कि बैंक ऐसी सूचनाएं किसी के साथ साझा नहीं करता. उसके मुताबिक, "होता यह है कि तमाम जगह डिजिटल ट्रांजैक्शन में संबंधित की बैंक डिटेल का ग़लत इस्तेमाल कर लिया जाता है. मसलन किसी शॉपिंग में कार्ड स्वाइप करने या ई कॉमर्स साइट्स पर खरीदारी करना आदि आदि.

जी, मोदीजी का डिजिटल भारत बहुत ख़तरनाक है.

इन दिनों डिजिटल ट्रांजैक्शन बढ़ सा गया है. ये सरकार की 'उपलब्धि' है लेकिन डिजिटल इंडिया के साथ साथ एक 'डिजिटल फ्रॉड इंडिया' का भी तेजी से उदय हो रहा है. इसके साथ ही एक और कारोबार खड़ा हो रहा है.

बढ़ती फ्रॉड की घटनाओं के साथ साथ बैंकों के लिए कुछ थर्ड पार्टियां आपको डिजिटल सिक्युरिटी भी मुहैया करा रही हैं. इसके बदले ग्राहकों से सालाना मोटी रकम भी वसूली जाती है.

मुझे भी बिना मांगे एक ऐसी ही एजेंसी ने 'बैंक सिक्युरिटी' की सुविधा दे दी. सिक्युरिटी के नाम पर पैसे कटे तब मुझे जानकारी हुई.

मैंने बैंक से पूछा कि मैंने ऐसी कोई रिक्वेस्ट की ही नहीं तो आपने उसे मेरे अकाउंट पर लागू कैसे कर दिया? मैंने पैसे लौटाने और उसे बंद करने का अनुरोध किया. लताड़ भी लगाई कि एक थर्ड पार्टी के साथ आप डिटेल कैसे साझा कर सकते हैं?

कौन सही है? जबकि एक बैंक कह रहा है कि हम डिजिटल जानकारी नहीं साझा करते.

कुल मिलाकर अपराध और उसके इर्द गिर्द डर की जमीन पर एक नए डिजिटल इंडिया का भरा पूरा आपराधिक कारोबार खड़ा हो रहा है.

आज ही ऑफिस में एक सहकर्मी के दोस्त के साथ डिजिटल फ्रॉड की घटना हुई. ऊपर जैसे बताया लगभग वैसे ही. पता चला कि किसी फेक कॉल के जरिए लाखों रुपये ऐंठ लिए गए.

जिन्हें लगता है कि बैंक में पैसा रखना सुरक्षित है उनके लिए भी अब समय ठीक नहीं रहा.

नीचे बैंक फ्रॉड का एक ऑडियो है चाहे तो सुन सकते हैं...
शाम सात बजे के करीब किसी ने फोन कहा कि वो बैंक मैनेजर बोल रहा है. उसका यह कहना था कि मेरे एटीएम में दिक्कतें हैं. कुछ जानकारियां चाहिए. चूंकि पापा और घर में दूसरे लोग बैंक में ही रहे तो वहां की कार्यशैली से थोड़ा बहुत परिचित हूं. दिन शनिवार का था और समय शाम सात के बाद का, तो मैंने पलटकर तुरंत पूछ लिया कि भैया बैंक के मैनेजर कब से सीधे ग्राहक को फोन करें लगे, वो भी शनिवार को. मेरे इस जवाब के बाद फोन कट गया.

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