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Friday 20 December 2013

इन टू द वाइल्ड; अनंत संभावनाओं की यात्रा

- अनुज शुक्ला जीवन का मतलब सिर्फ इसे जीते रहना ही नहीं है. जीवन का मतलब सिर्फ यह नहीं कि एक नौकरी, एक परिवार और एक शहर में नाम, पैसे और शोहरत के चक्कर में अपने हिस्से के बेशकीमती दिन अपव्यय कर दिए जाए. जीवन का मतलब उसकी अनंत यात्रा को भोगना भी है. काश मैं ‘इन टू द वाइल्ड’(2007) कुछ साल पहले देख पाता. संभव है जिन्दगी जीने का दूसरा नजरिया मिलता. बहरहाल कल रात आधी-अधूरी ‘द कम्पेन’ को पूरी करने के बाद वर्जीनिया के एक अनंत यात्री Christopher McCandless से मुलाकात हुई. ये सेंटियागो (अलकेमिस्ट) के बाद दूसरे आदमी मिले जीवन की अनंत यात्रा में विश्वास रखते हैं. क्रिस्टोफर की यात्रा सिर्फ रोमांचकारी होने के साथ ही बहुत दार्शनिक भी है. 23 साल के क्रिस्टोफर एक शानदार स्कॉलर थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी बचत के 24 हजार डॉलर को चैरिटी में दान कर दिया. क्रिस्टोफर क्रिस्टोफर अपने पालकों- मित्रों को बिना बताए निकल पड़ता है अलास्का की अनंत यात्रा पर. इस दौरान कई पड़ाव पर क्रिस्टोफर आवारा जीवन के दार्शनिक आनंद से रूबरू होता है. अनंत यात्रा को निकले क्रिस्टोफर को रोकने कई भावनाएं भी उमड़ती है. लेकिन अलास्का पहुंचने की धुन में वह वहां थमने की बजाए वापिस लौटने का वादा कर आगे चलता जाता है. क्रिस्टोफर ने जीवन के आनंद को जीने में जो संघर्ष किया उसका दर्शन बहुत महान है. न्यूनतम साधनों के साथ रेगिस्तान, नदियों पठारों को पार करते हुए क्रोस्टोफर, अलास्का की बर्फिली वादियों में पहुंच जाता है. एक नदी पार करने पर उसे जंगल में कबाड़ वैन दिखाई पड़ती है. क्रिस्टोफर इसी वैन में अपने जीवन के क्षणों को गुजारने लगता है. वह शिकार करता है, किताबें पढ़ता है और डायरी में अपने अनुभवों को नोट करता है. कुछ दिनों बाद गर्म मौसम के आगमन के साथ जब बर्फ पिघलने लगती है तो क्रिस्टोफर वादे के मुताबिक लौटने का फैसला करता है. वह अपने छोडेÞ गए निशान के सहारे नदी के किनारे तक पहुंचता है, तो नदी के उफान को देखकर असहज हो जाता है. बर्फ की पिघलन के कारण नदी का बेग इतना तेज हो गया कि उसे अब पार करना काफी मुश्किल था. क्रिस्टोफर फिर वापिस उसी कबाड़ वैन में वापिस लौट आता है, जहां उसने अपने कई हफ्ते नितांत अकेले गुजारे थे. इस बीच क्रिस्टोफर का जीवन संघर्ष बहुत कठिन हो जाता है. अब जंगल में जीने के लिए शिकार भी नहीं मिलता. बहुत भूखा क्रिस्टोफर अज्ञानतावश किसी जहरीली जंगली वनस्पति की जड़ को खा लेता है. वह बीमार होता है और मर जाता है. एक दार्शनिक यात्री का अद्भुत अंत बहुत मार्मिक है. क्रिस्टोफर की यात्रा कथा के साथ ही उसके जीवन से जुड़ी अन्य कहानियां पाशर््व में चलती रहती हैं. इन टू द वाइल्ड में वे जीवन का बेहतरीन कोलाज बनाती हैं. क्रिस्टोफर, निमित्त अनंत यात्री सेंटियागो से महान है. वह जीवन की अनंत संभावनाओं का यात्री है. जिन्होंने न देखी हो उन्हें इन टू द वाइल्ड को एक बार जरूर देखनी चाहिए.

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